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Doha-Vallari

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आधनिक दोहा शिलप और आकार म पारपरिक होकर भी अपन कथय और सवदन म अतयत अरवाचीन और तरोताजा ह, जो समकालीन हिदी कविता क यथारथ रपो और उसकी सवदना को पकडन म सकषम ह। डॉ. दिनश चनदर अवसथी दोहा छद क एक समरथ एव सशकत हसताकषर ह। ईशवर, धरम, दरशन, परिवार, पतनी, बचच, माता-पिता, घर, गली, शहर, कारयालय, पश-पकषी, राजनीति, वयगय, अवसरवादिता, नयाय, मककारी, भरषटाचार, मनोविकार, दशभकति, आतक, अफसर, नता, शरमजीवी, जीवन, नीति, वयवहार, सिदधात, परम, मितरता, विशवजनीन घटनाए और चितन को जिस मानवीय दषटिकोण स डॉ. अवसथीजी न दखन का यतन किया ह, वह सब छोट-छोट सासकतिक चितरो क रप म सहज ही मन को विमगध करती ह। डॉ. अवसथी क दोह अभिधा की नीव पर परतिषठित होत हए भी लाकषणिकता क सोपानो पर आरढ होत हए वयजना की ऊचाइयो को सहज ही ससपरश करत ह।डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थीजी द्वारा विरचित प्रस्तुत कृति 'दोहा-वल्लरी' सुधी साहित्यकारों, विचारकों एवं सहृदयों के मध्य लोकप्रिय एवं समादृत होगी।

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Product Details
Prabhat Prakashan
9388984080 / 9789388984089
Hardback
01/12/2021
India
152 pages
General (US: Trade) Learn More
DC Poetry