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Deendayal Upadhyaya Ki Prerak Kahaniyan

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समाज क अतिम पायदान पर खड वयकति क उननयन को ही राषटर-निरमाण का मखय धयय माननवाल पडित दीनदयाल उपाधयाय सादगी एव परभावी वयकतितव की परतिमरति थ, लकिन अपन दिवय गणो स व दिवय और अदभत बन गए। परतयक वयकति उनका साननिधय पाकर सवय को धनय समझता था। व किसी भी वयकति को निराश नही लौटात थ। अपन परखर और तीवर मसतिषक का परयोग कर हर वयकति की समसया का हल ढढन का परयास करत थ। हर वयकति उनका ऋणी था। ईमानदारी, करतवयनिषठा, साहस और नततव क गण उनम कट-कटकर भर थ। व अपन इन गणो क माधयम स ही हर वयकति क हदय म अपना एक विशष सथान बना पाए।राष्ट्र की एकता-अखंडता उनके लिए सर्वोपरि रही और इसी के लिए वे अनवरत कर्मशील रहे। अपने छोटे, परंतु यशस्वी जीवन में उन्होंने सामूहिकता, संगठन-कौशल और राष्ट्रभाव के जो अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किए, वे न केवल वर्तमान वरन् भविष्य की पीढि़यों का भी मार्ग प्रशस्त करेंगे।माँ भारती के अमर सपूत पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणाप्रद जीवन की ये छोटी-छोटी कहानियाँ जीवन में कुछ बड़ा करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी, ऐसा हमारा अटल विश्वास है।

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Product Details
Prabhat Prakashan
9353220378 / 9789353220372
Paperback / softback
01/12/2018
India
200 pages