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Lauhpurush Sardar Patel Ke Prerak Prasang

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दश को सवततर करान क लिए अनक नताओ न अपन पराणो की आहति दी। अगरजो क अतयाचारो का डटकर सामना किया। अपनी निरभीकता स दश क वीर सपतो एव वीरागनाओ न अगरजो की मनमानियो को रोकन म महततवपरण भमिका निभाई। सरदार वललभभाई पटल भी उनम स एक ह। उनह उनकी निरभीकता, कठिनाइयो का डटकर सामना करन, कारय क परति लगन एव वयवहारकशलता क कारण 'लौहपरष' का सममान दिया गया। सरदार पटल न अपना सरवसव दश को समरपित कर दिया, यहा तक कि उनका वयकतिगत जीवन भी दश क सामन कछ नही रहा। उनहोन जनम लिया ही था दश क लिए कछ कर गजरन क लिए। दश क छोट-छोट राजयो का एकीकरण उनही क दवारा किया गया। व अपनी वाकपटता स बचपन स ही विरोधियो को पराजित करत रह और अपन मारग पर बढत रह। उनका जीवन बेहद संघर्षमय रहा। यदि यह कहा जाए कि वे अपने जीवन में तलवार की धार पर चलते रहे, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने अपनी सूझ-बूझ से राज-रजवाड़ों में बँटे देश को अखंड बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पुस्तक में उनके जीवन की कुछ घटनाओं को यहाँ कथाओं के रूप में समेटने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। इन कथाओं के माध्यम से पाठकों को लौहपुरुष सरदार पटेल के तपस्वी, त्यागपूर्ण, कर्तव्यनिष्ठ व अपार देशभक्ति की झलक मिलेगी।

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Product Details
Prabhat Prakashan
9388131002 / 9789388131001
Hardback
01/12/2021
India
216 pages
General (US: Trade) Learn More