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Dear Zindagi

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Dear जिदगी-जिदगी का ऐहतराम करती मरी पहली किताब पश ह आप सबक सामन। इसम जिदगी की दी हई खशियो का जश्न भी शामिल है और इसके दिए गमों की शि़कायत भी। अगर इस किताब को चंद अल़्फाज़ों में निचोड़ना हो तो शायद कुछ यों होगा-यह चंद स़फहों की किताब हैमेरे कुछ महीनों का हिसाब हैफलस़फे ज़िंदगी के हैं इसमेंये मेरे ख़्वाहिशों के ख़्वाब हैंगमे तनहाई मिला है इश़्क सेपर यादों का स़फर लाजवाब हैजुदाई लाज़मी है इस स़फर मेंवक़्त को रिश्तों का जवाब हैमैं नहीं जानता कि मैं कोई शायर हूँ, कवि हूँ या नहीं और इस बात का दावा भी नहीं करना चाहूँगा। मैं तो बस एक आम सोच रखने वाला मामूली इंसान हूँ, जिसे न तो लिखने की सोहबत मिली है, न ही विरासत। इस किताब की रचनाएँ बस मेरी संवेदनाएँ हैं, जो खुद-ब-खुद लफ्ज़ों में तब्दील हो गई हैं। ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं को मेरी नज़र से देखने की कोशिश मात्र है। ज़िंदगी को जो भी थोड़ा- बहुत देखा, परखा या समझा है, वही लिखकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। संभवतः वही संवेदनाएँ आपको भी छू जाएँ और आप स्वयं से इसको जोड़ पाएँ।इस किताब के प्रकाशन से बेहद खुशी है, आ़िखरकार ये मेरी पहली किताब है, पर साथ-ही-साथ एक डर भी सताता है कि क्या यह आपकी उम्मीदों की कसौटी पर खरी उतरेगी, पर इस डर से लड़ने के सिवा और कोई उपाय भी नहीं है। उम्मीद है, आपको मेरी ये किताब और इसकी रचनाएँ पसंद आएँ।

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Product Details
Prabhat Prakashan
9386001527 / 9789386001528
Book
15/07/2017
India
176 pages