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Bharat Mein Videshi Log Evam Videshi Bhashayen

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भारत की पराकतिक समपदा, जञान-विजञान, कला एव शिलप न हजारो वरषो स विदशियो को आकरषित किया ह। यहा की वाणिजयिक एव सासकतिक परमपरा क कारण यहा पर अरबी, बकटरियन, चीनी, डच, अगरजी, फरच, यनानी, हिबर, लटिन, फारसी, परतगाली, तरकी तथा अनय भाषाए बोली एव सनी गई। ससकत आम-लोगो की भाषा भल ही न रही हो, परनत इसका इस उपमहादवीप की हजारो भाषाओ क साथ शाबदिक आदान-परदान रहा ह। कालकरम स य सभी भाषाए एक समय म लोकपरियता एव सतता क शिखर तक पहची और फिर किसी अनय भाषा क लिए सथान खाली कर हट गई। इस परकरिया म इन भाषाओ का अनक दशज भाषाओ क साथ समपरक हआ तथा शबदो एव अभिवयकतियो का आदान-परदान हआ। समय-समय पर नई भाषाओ का जनम तथा परानी भाषाओ का लोप भी हआ। परसतत पसतक भारत म भाषाओ क इसी उदभव-विकास, लोप एव अवशष की लमबी शखला की कहानी कहती ह।

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Product Details
Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
8126729597 / 9788126729593
Hardback
01/01/2018
India
490 pages
140 x 216 mm, 767 grams
General (US: Trade) Learn More